Thursday, March 20, 2025
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राज्य विकास में आगे, फिर 75 फीसदी आबादी BPL में क्यों? सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई खरी-खरी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों ने विकास सूचकांक को रेखांकित करने के लिए प्रति व्यक्ति आय दर्शायी लेकिन सब्सिडी की बात आने पर उन्होंने 75 प्रतिशत आबादी के BPL से नीचे होने का दावा किया।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Mar 19, 2025 20:30 IST, Updated : Mar 19, 2025 20:30 IST
supreme court
Image Source : FILE PHOTO सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि राज्यों ने विकास सूचकांक को रेखांकित करने के लिए प्रति व्यक्ति आय दर्शायी लेकिन सब्सिडी की बात आने पर उन्होंने 75 प्रतिशत आबादी के गरीबी रेखा (BPL) से नीचे होने का दावा किया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि सब्सिडी का लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचना चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘‘हमारी चिंता यह है कि क्या वास्तविक गरीबों के लिए निर्धारित लाभ उन लोगों तक पहुंच रहे हैं जो इसके हकदार नहीं हैं? राशन कार्ड अब एक लोकप्रियता कार्ड बन गया है।’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ये राज्य बस यही कहते हैं कि हमने इतने कार्ड जारी किए हैं। कुछ राज्य ऐसे हैं जो जब उन्हें अपना विकास दिखाना होता है तो कहते हैं कि हमारी प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है और फिर जब हम बीपीएल की बात करते हैं तो वे 75 प्रतिशत आबादी को गरीबी रेखा के नीचे बताते हैं। इन तथ्यों के बीच सामंजस्य किस तरह बैठाया जा सकता है। विरोधाभास अंतर्निहित है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लाभ वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचे।’’

जानें पूरा मामला

यह सुनवायी कोविड-19 महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों की परेशानियों के समाधान के लिए स्वतः संज्ञान लेकर शुरू किए गए एक मामले से संबंधित थी। कुछ हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि आंकड़ों में यह विसंगति लोगों की आय में असमानताओं से उपजी है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ मुट्ठी भर लोग हैं, जिनके पास अन्य लोगों की तुलना में बहुत अधिक संपत्ति है और प्रति व्यक्ति आय का आंकड़ा राज्य की कुल आय का औसत है। अमीर और अधिक अमीर होते जा रहे हैं, जबकि गरीब अब भी गरीब बने हुए हैं।’’

भूषण ने कहा कि सरकार के ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत गरीब प्रवासी श्रमिकों को मुफ्त राशन दिए जाने की जरूरत है और यह आंकड़ा लगभग 8 करोड़ है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि राशन कार्ड जारी करने में कोई राजनीतिक तत्व शामिल नहीं होंगे। मैं अपनी जड़ों से अलग नहीं हुआ हूं। मैं हमेशा गरीबों की दिक्कतें जानना चाहता हूं। ऐसे परिवार हैं जो गरीब बने हुए हैं।’’ भूषण ने कहा कि केंद्र ने 2021 की जनगणना नहीं करायी और 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर भरोसा करना जारी रखा, जिसकी वजह से मुफ्त राशन की जरूरत वाले करीब 10 करोड़ लोग बीपीएल श्रेणियों से बाहर रह गए।

81 करोड़ लोगों को दिया जा रहा मुफ्त राशन

केंद्र सरकार की ओर से पेश हुईं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लगभग 81.35 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दे रही है और अन्य 11 करोड़ लोग इसी तरह की एक अन्य योजना के तहत शामिल किए गए हैं। पीठ ने मामले की सुनवायी स्थगित करने के साथ ही केंद्र से गरीबों को वितरित किए गए मुफ्त राशन की स्थिति पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा। पिछले वर्ष 9 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त उपहार की संस्कृति पर अप्रसन्नता जताते हुए प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने तथा क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया था। शीर्ष अदालत ने उस समय हैरानी जतायी थी जब केंद्र ने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत 81 करोड़ लोगों को मुफ्त या रियायती राशन दिया जा रहा है। इसके बाद अदालत ने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि केवल करदाता ही इससे वंचित हैं।’’ (भाषा इनपुट्स के साथ)

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